माताओं और शिशुओं का एक बहुत ही विशेष बंधन और रिश्ता होता है। यह बंधन तब शुरू होता है जब बच्चे ने पहली साँस तक नहीं ली होती इस दुनिया में। गर्भावस्था एक महिला के जीवन के सबसे यादगार चरणों में से एक है। जब बच्चा इस दुनियामें अपना जीवन शुरू करता है, तो माँ और उसके बच्चे का बंधन और भी गहरा हो जाता हैं, माँ की निरंतर देखभाल, उसके पोषण के प्रति ध्यान उन दोनों के बिच का रिश्ता मजबूत करता है।
माँ और बच्चे के बीच इस संबंध को मजबूत करने में स्तनपान एक बड़ी भूमिका निभाता है। माँ का दूध बच्चे के लिए अमृत समान है। स्तनपान के दौरान, माँ के शरीर में ऑक्सीटोसिन (Oxytocin) हार्मोन उन्मुक्त होता है जिसे “बॉन्डिंग हार्मोन” भी कहा जाता है जो बच्चे के जन्म और स्तनपान के दौरान माँ के शरीर को ताक़त देने में मदद करता है जो मातृ संबंध और ममता भरे व्यवहार को बढ़ाता है।
स्तनपान न केवल भावनात्मक संबंध के लिए अत्यावश्यक है, बल्कि इससे बच्चे और माँ के स्वास्थ्य पर भी महत्वपूर्ण लाभ और प्रभाव पड़ता हैं।
- स्तनपान बच्चे को कई बीमारियों से बचाता है:
जिन शिशुओं को स्तनपान कराया गया है वे उच्च प्रतिरक्षा यानी की इम्युनिटी (रोग से लढ़ने की शक्ति ) प्राप्त करते हैं। वे पेट के वायरस, साँस लेने से संबंधी बीमारियों, कान के इन्फेक्शन, मेनिनजाइटिस और कुछ प्रकार के कैंसर – जैसे रोगों के प्रति अधिक इम्युनिटी, रक्षण पाते हैं। जिन शिशुओं को विशेष रूप से 6 महीने तक स्तनपान कराया जाता है, वे स्वस्थ होते हैं और उन्हें बचपन में काम बीमारियाँ होती है।
2.स्तनपान बच्चे को एलर्जी से सुरक्षा प्रदान करता है:
स्तनपान करने वाले शिशुओं को फार्मूला मिल्क, गाय के दूध या सोया दूध पीनेवाले बच्चों की तुलना में कम एलर्जी होती है।
- बच्चे की बुद्धि को बढ़ाने में मदद करता है:
लंबे समय तक और विशेष रूप से स्तनपान कराने से बालक का संज्ञानात्मक विकास बेहतर होता है।
- बच्चे को मोटापे से बचाता है:
स्तनपान करने वाले बच्चोमें बचपन या वयस्क होने के बाद मोटापे के शिकार होने की संभावना कम होती हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे फार्मूला-आधारित या सोया दूध पीने वाले शिशुओं की तुलना में ज़्यादा स्वस्थ होते है क्योंकि उन्हें स्तनपान से बेहतर पोषण मिलता है और उनके शरीर का विकास अच्छी तरह से होता हैं।
- बच्चों में SIDS का खतरा कम हो सकता है:
शोधकर्ताओं ने पाया है कि 1 महीने की उम्र में विशेष स्तनपान करने से SIDS – Sudden Infant Death Syndrome ( ऐसी स्तिथि जिसमें शिशु की अचानक से जान जा सकती है ) का जोखिम आधा हो जाता है।
- माता के लिए प्रसव के बाद तनाव और उदासी महसूस (Post-partum depression)करने के जोखिम को कम कर सकता है:
यह देखा गया है कि कई महिलाएं स्तनपान कराने के बाद आराम महसूस करती हैं।
- माँ में कुछ प्रकार के कैंसर के जोखिम को कम करता है:
अध्ययनों में पाया गया है कि जिन महिलाओं ने स्तनपान कराया है उनमें स्तन और डिम्बग्रंथि के कैंसर (ovarian cancer) का खतरा कम होता है।
तो यह बात तो तय है की स्तनपान, माँ और बच्चे दोनों के लिए लाभदायी हैं। लेकिन कामकाजी माताओं के लिए, लंबे समय तक स्तनपान जारी रखना मुश्किल हो जाता है। अध्ययनों से पता चला है कि जो महिलाएं कम से कम तीन महीने तक स्तनपान कराने का इरादा रखती हैं, लेकिन जब वो पूरी तरह से काम पर लौटती हैं, उनके स्तनपान कराने के लक्ष्य तक पहुंचने की संभावना कम हो जाती हैं।
परंतु आज के ज़माने में ऐसे कई तरीक़े है और साधन उपलब्ध है जैसे की ब्रैस्ट पंप जिससे कामकाजी माताओं को मदद मिल सकती हैं।
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