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विटामिन – D की कमी से बढ़ सकता है मानसिक तनाव का ख़तरा

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मेरे 80% मरीज़ विटामिन की कमी का सामना कर रहें हैं। शरीर में विटामिन कम होने पर वज़न कम करना या अन्य पुरानी बीमारियों का इलाज करना मुश्किल होता है।

सूर्य जीवन देता है और जीवित प्राणियों के जीवित रहने के लिए सूर्य की किरणें महत्वपूर्ण हैं। सूर्य की ऊर्जा एक ऐसी चीज़ है जिसे हम इंसानों द्वारा ग्रहण किया जाता है। सवेरे की सूर्य की रोशनी द्वारा हमे आवश्यक विटामिन-डी मिलता है। विटामिन-D और D3 व्यक्ति की मानसिक स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका रखता है, और इसे सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर या SAD जैसे मुद्दों से जोड़ा गया है।

निरंतर व्याकुलता या चिंता (Clinical Anxiety) कोई छोटी बात नहीं है, एक मजबूत शब्द और बड़ी समस्या है जो आजकल लोगों द्वारा बहुत लापरवाही से इस्तेमाल किया जाता है। अगर आप सुबह देर से उठते है या किसी कारणवश सुबह के धूप नहीं लेते तो आप में विटामिन-D की कमी हो सकती हैं।

निरंतर व्याकुलता (Anxiety) और डिप्रेशन दोनों विकारों के लिए उपचार अलग-अलग हैं क्योकि उनके कारण, लक्षण अलग हैं। यदि आपको लगता है कि आपको निरंतर चिंता या डिप्रेशन है, तो सुनिश्चित करने के लिए मै अपनी मरीज़ों का एक टेस्ट लेती हु।

उदासी महसूस करना, बार – बार उन्हीं विचारों में खोये रहना, क्रोध की अनुभूति, चिड़चिड़ापन, असामाजिक व्यवहार, अनिद्रा, सेक्स ड्राइव की कमी, भूख कम लगना और वज़न कम ना कर पाना – ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं। इन लक्षणों में से कुछ, जैसे अनिद्रा, चिंता बढ़ाने में भी योगदान देते हैं।

दूसरे कारण जो विटामिन-डी के निम्न स्तर और चिंता से संबंधित हो सकते है वे है – निम्न या कम व्यायाम, शारीरिक गतिविधि कम करना, पीली या नारंगी सब्जियों का कम सेवन, अनियमित भोजन का समय, आदि।

डॉक्टर से अपने स्वास्थ्य के सबंधित कोई भी सवाल पूछें इधर

क्या आप अनियमित मासिक की समस्या का सामना कर रहे हैं ? जानिए डॉ. निता ठाकरे से

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