मेरी कहानी बाल यौन शोषण के लाखों उत्तरजीवी लोगों से कुछ ज़्यादा अलग नहीं है। में जब छोटी थी, तब मेरे चाचा ने मेरे साथ दुर्व्यवहार किया था। यह तब शुरू हुआ जब में दो या तीन साल की थी, पर मेरे पास इसकी पुन: एकत्रित स्मृति नहीं है, या शायद मैंने इन हादसों को अपने ज़हन में इतना गहरा दफन कर दिया है कि मुझे याद नहीं है।
इसका अंत तब आया जब मेरी चाची दोपहर में एक दिन कमरे में आ गयी जब चाचा मेरा शोषण कर रहे थे। तब मैं 15 वर्ष की थी। चाची यह होता देखते ही कमरे से रोती हुई चली गई, चाचा उन्हें सांत्वना देने पीछे पीछे निकल गए। मैंने कपड़े पहने और अपने घर वापस चली गई। घर पर, मुझे अपनी माँ ने डांटा। उन्होंने मुझे एक बहुत बुरी लड़की कहा और कहा कि मैं चाचा और चाची के वैवाहिक जीवन को नष्ट करने की कोशिश कर रही हु। उन्हें यह अहसास नहीं हुआ कि इस स्थिति में की पीड़ित तो में थी। यौन दुर्व्यवहार तो मेरे साथ हुआ है।
अंकल को भी डाँटा गया लेकिन घर से कभी निर्वासित नहीं किया गया।
यह एक बहुत ही सामान्य कहानी है, जहाँ परिवार वाले अपने और परिवार के बच्चियों और बच्चों के साथ हुए यौन शोषण के हादसे को दफ़ना देते है, क्योंकि अगर यह बात लोगों को पता चलती है तो यह परिवार को शर्मिंदा करेगी। आश्चर्यजनक रूप से, यदि यौन दुर्व्यवहार सार्वजनिक ज्ञान बनता है तो समाज के लिए यह इतनी बड़ी बात नहीं होती के वह इसपे ग़ौर फ़रमाए और इसके बारे में कुछ करें । लेकिन फिर भी मेरी स्थिति के बारे में अच्छा यह था कि उस दिन से मेरे साथ होने वाला दुर्व्यवहार बंद हो गया।
परंतु अंकल अकेले नहीं थे जिन्होंने मेरे साथ दुर्व्यवहार किया था। समस्या यह थी कि किसी तरह से उत्पीड़कों को पता चल जाता था कि मेरे साथ दुर्व्यवहार कर सकते है। मै इतनी डरी रहती थी कि मेरे मुँह से ना निकलता ही नहीं था। कहीं मेरे दुर्व्यवहार के वर्षों में, मेरी ना कहने की क्षमता कुचल गई थी, जो समझना इतना आसान नहीं है क्योंकि अन्यथा मैं बहुत बोल्ड व्यक्ति हूं। एक बच्चे के रूप में, मैं अपने दोस्तों से डरती नहीं थी। मैं लड़कियों और यहां तक कि लड़कों को लड़ाई में हरा देती थी। मैं वही थी जिसे आप टॉम्बाय कहते है।
सौभाग्य से, मेरी शिक्षा पर इसका असर नहीं हुआ लेकिन में कम आत्म सम्मान से पीड़ित हुई और मुझमें बाल यौन दुर्व्यवहार (सीएसए) CSE – Child Sexual Abuse के सभी दुष्प्रभाव हैं। मैं मोटापे से ग्रस्त हूं और मेरा वैवाहिक जीवन सुखद नहीं रहा है। लेकिन यह तो येशु मसीह के साथ मेरा सत्संग था जिसने मुझे बचाया।
जब मैंने सीखा कि येशु मसीह ने कहा है कि, “मैं आपको जीवन और उस जीवन को भरपूर मात्रा में जीने की उमंग देने आया था”। उस आस्था ने मुझे मेरे पापों, दर्द और यहां तक कि मेरी शर्मिंदगी के साथ झुंझने का साहस दिया। यह विचार मेरे दिमाग़ में पहले नहीं आया।
अब जब मैं अपने साथ हुए दुर्व्यवहार और इसके साथ समझौता करने में सक्षम हो गयी हूं, तो मैं दूसरों के साथ हुए दुर्व्यवहार के बारे में बात करके मुक्त होने में मदद करना चाहती हूं। दर्द और चोट से ठीक होने का पहला कदम उसके बारे में बात करना और मदद लेना है।
एक बार जब आप बात कर लेंगे, तो आप अपने दुर्व्यवहार, दर्द और शर्म से निपटने की ओर बढ़ेंगे और यौन शोषण के शिकार के बजाय उत्तरजीवी रहेंगे।
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